Not known Details About Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana



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जबकि परिस्थितियां इतनी मुश्किल होती नहीं हैं जितना उन्हें लगने लगता है. अब जैसे ऊपर वाला उदहारण ही लेते हैं.

मन के अंदर होने वाली घबराहट को अक्सर डर कहा जाता है। हमारे जीवन में कई ऐसी बातें होती हैं जिनके बारे में सोचकर हम घबराने लगते हैं या फिर अंदर ही अंदर डर लगने लगता है। तो इस मानसिक डर का इलाज कैसे किया जाए तथा  “मन से डर को कैसे निकालें?”

अक्सर देखा जाता है की कई बार शरीर से बलिष्ठ लोग भी डरपोक होते हैं. जबकि हकीक़त में दुसरे लोग उसके शरीर को देख देख कर अन्दर से उनसे डर रहे होते हैं.

यहां एक बात समझने लायक है कि डर का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है मगर खतरा, खतरे का होना वास्तविक है। उदाहरण के लिए यदि आप जंगल में फस जाते हैं वहां जंगली जानवर आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं यह बिल्कुल सत्य है लेकिन किसी जानवर ने अभी तक आपको नुकसान नहीं पहुंचाया यह भी सच्च हैं इसलिए अपने डर और खतरे में फर्क करना जरूर सीखें

बिना नशा किये वो बहुत ज्यादा डरे डरे रहते हैं. उनके अन्दर पूरी तरह से डर बैठ चूका होता हैं. वहीँ जो लोग बिलकुल किसी तरह का नशा नहीं करते उनमें कहीं भी कुछ भी बोलने का साहस हमेशा रहता है.

इसलिए अगर निर्भीक रहना चाहते हैं या सोच रहे हैं की अपने मन मस्तिष्क के डर को कैसे दूर भगाए तो भगवान् को रोजाना याद करें.

डर के प्रकार – जानिए कौन-से डर आपको रोकते हैं

जब भी नकारात्मक विचार आए, तुरंत उसे सकारात्मक विचारों से बदलें। उदाहरण: “मैं नहीं कर सकता” को “मैं कोशिश करूंगा” से बदलें।

इसके लिए आपको ऐसी चीज़ें खानी चाहिए जिससे मिलने वाले पौषक तत्व आपके मष्तिष्क को पुष्ट बनायें. दिमाग यदि स्वस्थ रहेगा तो ही आप पूरी तरह से निर्भीक और स्वस्थ रह पायेंगे.

हर कोई कभी न कभी डर का अनुभव करता है। डर वास्तव में किसी खतरनाक स्थिति के बारे में आपको आगाह करके आपको सुरक्षित रखने में मदद करता है। हालांकि, कई बार डर कुछ ज्यादा ही बेकाबू हो जाता है और आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप करना शुरू कर देता है। अच्छी बात ये है get more info कि ऐसे कुछ तरीके हैं, जो आपके डर से निपटने में और इसके प्रभावों को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

जो बीत गया सो बीत गया। अक्सर हम बीती हुई बातों को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं जैसे कि अगर कुत्तों से डरते हैं तो पहले कभी कुत्तों से कोई बुरा अनुभव हुआ होगा। 

चिंता हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। जब हम चिंता करते हैं तब हमारा दिमाग विचारों के एक भंवर में फंस जाता है। यही विचार डर को जन्म देते हैं। 

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